मैं बादल सा मैं बादल सा , हूंँ बस धुआंँ धुआंँ ना मेरा कोई अस्तित्व ना है कोई मेरा आकार मैं हूंँ बस धुआंँ धुआंँ हर कोई चाहता है मुझसे मिलना हर कोई कहता रहता है उड़ना है मुझे बादलों संग बादलों सा सब चाह रखते मुझसे मिलने की पर मुझसे मिलता कौन है मैं हूंँ तन्हा सदियों से मेरा मौन सुनता कौन है मुझे झूठा चाहने वाले आ जाते है मेरे संग उड़ने पर मैं तो हूंँ धुआंँ धुआंँ सा मुझे अपना मान कर, स्पर्श करता कौन है मैं बादल सा भटकता रहता हूंँ हर जगह हूंँ मैं बस धुआंँ धुआंँ इन पर्वतों की दुनिया में बुलाती है मुझे गले लगाने को खूबसूरत गलियारों की एक सुंदर सी चोटी, उसके आवाहन को अपने प्रेम की शुरुवात समझ मैं उड़ता चला जाता हूंँ इन खूबसूरत गलियारों से उसे गले लगाने को, छूटे ही उसको मैं बिखरा जाता हूंँ अपने तन मन से, बरस जाता हूंँ मैं वैसे, जैसे कभी न बरसा मेरे बरसते अश्रुओं से डूब जाते है किनारे सूखी पड़ी गंगा यमुना के, मैं भूल जाता हूंँ हर बार चोटियांँ तो हैं एक छलावा, सफेद मोम सी दिखने वाली है वो पत्थर की, और मैं हूंँ बस धुआंँ धुआंँ हूंँ मैं बदलो सा खुद ही खुद मैं खो के उड़ू मैं मस्त मगन कोई मेरा क्या बिगाड़े हूंँ बस मैं धुआंँ धुआंँ ©Prachi dwivedi A real dice🎤🎤 #badltelog #duniya #cloud #Hope #symbol #Courage #cloud