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जीने की आरजू हैं मगर ज़िन्दगी में तू नहीं सासो की

जीने की आरजू हैं मगर ज़िन्दगी में तू नहीं
सासो की है ज़रुरत जिस्म को लेकिन जा नही
अरमा थे की उम्र भर चलेंगे साथ साथ
ये फासले इतने हुए की नजदीकियों मे नजर ही नहीं
किस्से हम वफा के सुनाए कहा कहा
सारा शहर बेगाना हैं अपना यहां कोई नहीं
सराबोर हू दर्द में न दुआ है न दवा है कोई
मिलते हैं जख्म ए वफा में हमे कोइ समझता नही

जीने की आरजू हैं मगर ज़िन्दगी में तू नहीं सासो की है ज़रुरत जिस्म को लेकिन जा नही अरमा थे की उम्र भर चलेंगे साथ साथ ये फासले इतने हुए की नजदीकियों मे नजर ही नहीं किस्से हम वफा के सुनाए कहा कहा सारा शहर बेगाना हैं अपना यहां कोई नहीं सराबोर हू दर्द में न दुआ है न दवा है कोई मिलते हैं जख्म ए वफा में हमे कोइ समझता नही

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