अहिंसा परमो धर्म: हे बापू तेरी दुनिया में, ये क्या हो रहा है। इन्सान-इन्सान को मारकर, खुश हो रहा है। सत्य,अहिंसा के पाठ को, कोई समझ नहीं रहा है। न जाने इस दुनिया को, क्या हो रहा है। अपनों का खून बहाकर, जश्न मना रहा है। मजहब की आङ में, इंसानियत को लूट रहा है। हे बापू तेरी दुनिया में, ये क्या हो रहा है। दुख के सागर में, इन्सान-इन्सान को डुबो रहा है। माया नगरी संसार में, हर कोई रोष मना रहा है। मतलब की इस दुनिया में, हर कोई अशान्त हो रहा है। इन्सान-इन्सान को पीड़ा देकर, मन को हिंसक बना रहा है। जाने-अनजाने में इन्सान, अपने आप को कष्ट दे रहा है। हे बापू तेरी दुनिया में, ये क्या हो रहा है। हे बापू तेरी दुनिया में, ये क्या हो रहा है। -- गांघी जी