'अंतरआत्मा'- एक गुरु🙏 जीवन के हर एक मोड़ पर यदि कोई गुरु मिलता जाए,तो समझें कि आपसे बड़ा सौभाग्यशाली और कोई नहीं।परंतु यदि न भी मिले,तो भी कोई दुर्भाग्य की बात नहीं,क्योंकि हमारे ह्रदय के अंदर भी एक गुरु छिपा है,जो निरंतर हमारे कार्यों को टटोल रहा है। जीवन में कई बार क्रोधवश हम कोई भूल कार्य करने का प्रयत्न करते हैं,कि तभी ह्रदय के अंदर से एक गूंज सुनाई पडती है,जो हमें रोकती है। हमारे कदम डगमगाने लगते हैं,भीतर से कहीं न कहीं वो हमें शांत हो जाने का आभास दिलाती है। जब कभी हम किसी संकट की स्थिति में होते हैं और समझने की क्षमता क्षीण होने लगती है,उस समय क्षण भर के लिए यदि हम आंखें मूंद कर स्वयं को शांत करने की चेष्टा करे,तो संकट का विकराल रूप भी छोटा लगने लगता है,और हमें हमारे प्रश्नों का उत्तर स्वयं मिलने लगता है। परंतु ये है कौन,जो हमें भूल कार्य करने से सदा रोकता है,और संकट में स्वयं को पहचानने की शक्ति प्रदान करता है? ये है- हमारी अंतरात्मा!यही हमारा सबसे बड़ा गुरु है,जो सदैव हमे सही-गलत का रास्ता दिखाती है।परंतु हम उस अंतरात्मा की पुकार सुनकर भी अनसुना कर देते हैं,और परिणाम बुरा होता है। इसलिए अपनी अंतरात्मा को सुने,और उसे समझे। #teachersday2020 smita ❤️ ishu हिमांशु जगदीश शर्मा