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◆//उड़ते हुए//◆ ★//वेणु गोपाल//★ कभी अपने नवजा

◆//उड़ते हुए//◆

★//वेणु गोपाल//★

कभी 

अपने नवजात पंखों को देखता हूँ 

कभी आकाश को 

उड़ते हुए। 

लेकिन ऋणी मैं फिर भी 

ज़मीन का हूँ 

जहाँ 

तब भी था—जब पंखहीन था 

तब भी रहूँगा जब पंख झर जाएँगे।

©@Sushilkumar_Sushil
  #रेणु_गोपाल #उड़ते_हुए