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मैने सुबह को तेरे लिए मेजबां बनाया है, तू ना रुठ ज

मैने सुबह को तेरे लिए मेजबां बनाया है, तू ना रुठ जाए कहीं...इसीलिए सूरज को छुपाया है….

मैने सुबह को………

कई मेहमाँ बुलाएं हैं तेरी खातिर मैंने…..

कई फूल सजाए हैं तेरी खातिर मैंने, मैंने गुनगुनाती कोयल को तेरे लिए बुलाया है….

मैंने सुबह को……...

चहकती कुकतीं चिड़ियों की आवाज़ें सजाई हैं, तितलियों की रंग बिरंगी घटा सजाई हैं, हर तरफ रंग बिरंगे रंग घोले हैं तेरे लिए, मैने तेरे लिए नाचते मोर को बुलाया है।

के मैंने तेरे खातिर कई मेहमाँ बुलाये हैं।

मैंने सुबह को………

तेरे होंठो से मीठे फल बगीचे में सजाएं हैं, हर एक दाने को चुन कर तेरे लिए बेर मंगाए हैं, फ़िके ना पड़े होंठ तेरे वो मीठे सुर सजाए हैं, के मैने तेरे लिए मीठे मीठे दोस्त बुलाये हैं।

मैंने सुबह को…..


                                               ललित पचौली Divya Joshi Kalyani Shukla Soumya Jain Santosh Yadav Shivangi Vyas
मैने सुबह को तेरे लिए मेजबां बनाया है, तू ना रुठ जाए कहीं...इसीलिए सूरज को छुपाया है….

मैने सुबह को………

कई मेहमाँ बुलाएं हैं तेरी खातिर मैंने…..

कई फूल सजाए हैं तेरी खातिर मैंने, मैंने गुनगुनाती कोयल को तेरे लिए बुलाया है….

मैंने सुबह को……...

चहकती कुकतीं चिड़ियों की आवाज़ें सजाई हैं, तितलियों की रंग बिरंगी घटा सजाई हैं, हर तरफ रंग बिरंगे रंग घोले हैं तेरे लिए, मैने तेरे लिए नाचते मोर को बुलाया है।

के मैंने तेरे खातिर कई मेहमाँ बुलाये हैं।

मैंने सुबह को………

तेरे होंठो से मीठे फल बगीचे में सजाएं हैं, हर एक दाने को चुन कर तेरे लिए बेर मंगाए हैं, फ़िके ना पड़े होंठ तेरे वो मीठे सुर सजाए हैं, के मैने तेरे लिए मीठे मीठे दोस्त बुलाये हैं।

मैंने सुबह को…..


                                               ललित पचौली Divya Joshi Kalyani Shukla Soumya Jain Santosh Yadav Shivangi Vyas
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