उन दिनों जम्मू दीप में बड़ी शांति रहती थी तुलसी भरोसे राम के निभाया होकर सोया अनहोनी होने नहीं होनी है सो सोया तो महाकवि तुलसीदास ने अनुभवों को नाकाम ने की चिंता ना की है इससे आगे निकलने की टेंशन किंतु संस्कृति का यह भाव जनता के प्रतिनिधि और अधिकारियों को आक्रमण बना रहा था जब तक मनुष्य के मन में उसके दाग मेरे दाग के घर एक ऐसे जैसे बूस्टर भावना हो तो विक्रम के परहेज नहीं हो सकता कर्म एवं कोर्ट ने का चाहिए तो हमें फिर चाय पिताजी बीमार हो या लाभ की के अभाव में देश की प्रगति रुक गई है राजा के चिंतन हुए हैं उस ऋषि-मुनियों ने प्रॉमिस किया है कहा कि कुछ दिनों के लिए आश्रम भेज दीजिए हमारे योग गुरु उन्हें ठीक कर देंगे प्राणायाम का क्रम चला लेकिन इसके बाद भी उन्होंने नहीं आ रही थी सब धन धूरि समान समझने वाले संतोषी सदा सुखी बैटरी चार्ज नहीं हो रही थी योगाचार्य ने विचार-विमर्श किया और उनके मानसिक को सूचित करना पड़ा ठीक है मोबाइल को फॉर्मेट कर देने लगता है किंतु ऐसे जनप्रतिनिधियों के अधिकारियों को योग निद्रा और उनके फोन में थी सोने जागते भी उन्होंने एक तरह का बचा था स्वशासन ©Ek villain #योग निंद्रा की बूस्टर डोज #selflove