मैं सूखी नदी हूँ! कहते हैं पुनर्जन्म होता तो कब होगा मेरा पुनर्जन्म? मैं सूखी नदी हूँ! बहती मैं भी थी अल्हड़ जैसे हो बाला । ना रूकती थी रोके चंचल थी मैं भी। रोक दी जमाने ने मेरी चाल सोख लिया मेरा अमृत अब तो हृदय में दरारें पड़ गईं घाव इतने गहरे हैं कि भर नहीं पाएँगे। पुनर्जन्म की उम्मीद में मैं सूखी नदी सूखे आँखों से सिसकती हूँ। सुनीता बिश्नोलिया ©® सूखी# नदी #सूखी #नदी #nojoto #hindi