शुन्य का सृजक ओंकार सृष्टि का आधार है ये, नाद अक्षर ब्रह्म है ये.. गुंजायमान चहुँ दिशा में.. समय का प्रारंभ है ये। इससे ही सब सृजन पाते.. इसमें ही सब होते लीन, इसकी की कोख में, रोपित हुआ, द्योलोक सजीव..... सहज शाश्वत सत्व यह, वैश्विक ओंकार है। सृष्टि का आधार है ये, नाद अक्षर ब्रह्म है ये.. गुंजायमान चहुँ दिशा में.. समय का प्रारंभ है ये। इससे है सब सृजन पाते.. इसमें ही सब होते लीन,