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बेशर्म दिन रातें निकम्मी हाय गरमी हाय गरमी दिन दीव

बेशर्म दिन रातें निकम्मी
हाय गरमी हाय गरमी
दिन दीवाना रात का है
हो गया तक आठ का है
लग रहा दिन भर जला 
दिन रात के पीछे पड़ा
और न पीछा हो सका तो
फिर निकल तड़के पड़ा
आह आलस और गर्मी
चिपचिपाते तन की नरमी
काम का जब दिन नही
तो आज देखो दिन की गर्मी
दिन में आलस में घड़ी भी
चल रही प्यासी पड़ी सी 
दौड़ती रातों मे कर लो
काम कोई कर सको तो
दिन में करना झेल गर्मी
बेशर्म दिन रातें निकम्मी
हाय गरमी हाय गरमी

©दीपेश
  #हॉट #गरमी