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गाँव की यादें ••••••☆☆☆••••• मेरे गाँवों की वो सँक

गाँव की यादें
••••••☆☆☆•••••
मेरे गाँवों की वो सँकरी गली अब याद आती है।
सरसों का फुल और वो गेहूं की बाली याद आती है।
महुआ का पेड़ और झुके आमों की डाली याद आती है।
वो होली में 'फगुआ' और सावन की 'कजरी' याद आती है।
वो ब्रज की 'होली' और अवध की 'दीपावली' याद आती है।
वो दूल्हे को मंगल और बरातियों को गाली याद आती है।
मेरे गाँव का वो धीमा बल्ब भी याद आता है।
गुम अब सब हो गये हैं शहरी चका-चौंध के उजालों में।
जिसे देखो वही अब वक़्त के दौड़ में शमिल है।
बहुत कुछ याद हैं ताज़ी अभी भी ज़हन में मेरी,
 मुझे 'शहर'में आकर भी वो 'गाँव' की माटी याद आती है।
यादों की यादें भी याद से जिंदा हो जाती हैं।
-Rekha $harma #मेरा गाँव #Missing u U.P #My Sant Kabir Nagar
गाँव की यादें
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मेरे गाँवों की वो सँकरी गली अब याद आती है।
सरसों का फुल और वो गेहूं की बाली याद आती है।
महुआ का पेड़ और झुके आमों की डाली याद आती है।
वो होली में 'फगुआ' और सावन की 'कजरी' याद आती है।
वो ब्रज की 'होली' और अवध की 'दीपावली' याद आती है।
वो दूल्हे को मंगल और बरातियों को गाली याद आती है।
मेरे गाँव का वो धीमा बल्ब भी याद आता है।
गुम अब सब हो गये हैं शहरी चका-चौंध के उजालों में।
जिसे देखो वही अब वक़्त के दौड़ में शमिल है।
बहुत कुछ याद हैं ताज़ी अभी भी ज़हन में मेरी,
 मुझे 'शहर'में आकर भी वो 'गाँव' की माटी याद आती है।
यादों की यादें भी याद से जिंदा हो जाती हैं।
-Rekha $harma #मेरा गाँव #Missing u U.P #My Sant Kabir Nagar