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न कर "गुमान" ख़ुद पर ऐ ज़िंदगी। अंत में एक मुट्ठी

न कर "गुमान" ख़ुद पर ऐ ज़िंदगी। 
अंत में एक मुट्ठी "राख" रह जाना है।

©ब्राह्मण अभिषेक पटैरिया #_राख
न कर "गुमान" ख़ुद पर ऐ ज़िंदगी। 
अंत में एक मुट्ठी "राख" रह जाना है।

©ब्राह्मण अभिषेक पटैरिया #_राख