गम के बादल की चौखट पे, किस्मत ने उनको मोड़ा था। फटा पुराना सा चिथड़ा, जो साल उन्होंने ओढ़ा था। उसको नीचे बिछा के फिर, गठरी को उन्होंने खोला था। कुछ टूटे फूटे बर्तन थे, कुछ घिसे पिटे से कपड़े थे। उनका संसार उसी में था, कुछ दर्द सहेजे लफड़े थे। उस गठरी में कुछ ढूढ़ रही.... बूढ़ी अम्मा....... #nojoto#poetry#बूढ़ीअम्मा.....