न शिकायत तुमसे थी न उस खुदा से जब मेरी मोहब्बत झूठी निकली तो यकीन किस पर करूं उस इंसान पर जिसने मुझे अपना कहा था और पल भर में पराया कर गया की अपने आंसुओ पर न चाहते हुए भी तन्हाई में रो रहा तेरी बेपरवाही खलती थी मुझे क्यूं याद करके मुझे भूल जाता इंतज़ार तो तेरा मैं रोज करती हूं लेकिन तुम तो मुझे तन्हाई में छोड़ जाता तुमसे मोहब्बत करते करते अब ख़ुद से नफ़रत हो गई है जैसे सांसों का ठहराव मोड़ जाता एहसास दर्द का बहुत गहरा हुआ है सीने में दिल टुकड़ों में बांटता गया मैं दिखाऊं कैसे जख्म अपना सोते हुए भी होता नम आंखें मेरा दिल का रिश्ता जख्मों से बंधा अब क्या मैं सबूत दूं उसके लिए मेरे दिल में जगह न बचा रिश्ते निभाने की औकात हो तभी किसी से रिश्ते दिल के जोड़ने चाहिए,,,,,,,,,,💔💔 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁 वरना कुछ पल के लिए राहगीर भी आपसे रिश्ते जोड़ लेते है,,,,,,,,,,,,,,,,,💔💔