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दुनियां में इंसान ही इंसानियत को शर्मसार करने लगे।

दुनियां में इंसान ही इंसानियत को शर्मसार करने लगे।
अपने ही अपनों की इज्जत यहां तार-तार करने लगे।

हंसती खेलती हमारी धरती पर ग्रहण लग गया जब से,
इंसान अपनों को छोड़ गैरों के प्यार पर विश्वास करने लगे।  #ग्रहण_धरती_पर_काव्य_संगीत
🎑काव्य संगीत प्रतियोगिता 20 में आपका स्वागत करता है। आप 4 पंक्ति में अपनी सराहनीय श्रेष्ठ उत्कृष्ट अनुपम उत्तम रचना लिखें।📃
 #काव्य_संगीत 

 #yqdidi #yqbaba 
👉मौलिक रचना लिखें, वो भी भारतीय भाषा में, और रचना की प्रत्येक पंक्ति में सिर्फ़ 01-12 शब्दों हीं प्रयोग करें। समय सीमा आज 06:30 PM से कल 6:30 PM तक है

👉 कृपया अपनी रचना का Font ऐसा रखिए, जिससे wallpaper सुंदर रहे, और रचना भी अच्छी दिखे। colb करने के तुरंत बाद ही प्रतियोगिता के comment box मे done ज़रूर comment करें,,
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