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ज़िन्दगी रूठ कितना भी ; अब न तुझे मनाऊंगी , चुप रहू

ज़िन्दगी रूठ कितना भी ;
अब न तुझे मनाऊंगी ,
चुप रहूँगी तेरे हर सितम पर;
  कुछ न तुझे सुनाऊंगी
दूर जाना है तो जा मुझसे ,
आवाज़ देकर तुझको न बुलाऊंगी #ज़िन्दगीरूठकितनाभी
ज़िन्दगी रूठ कितना भी ;
अब न तुझे मनाऊंगी ,
चुप रहूँगी तेरे हर सितम पर;
  कुछ न तुझे सुनाऊंगी
दूर जाना है तो जा मुझसे ,
आवाज़ देकर तुझको न बुलाऊंगी #ज़िन्दगीरूठकितनाभी