ज़िन्दगी रूठ कितना भी ; अब न तुझे मनाऊंगी , चुप रहूँगी तेरे हर सितम पर; कुछ न तुझे सुनाऊंगी दूर जाना है तो जा मुझसे , आवाज़ देकर तुझको न बुलाऊंगी #ज़िन्दगीरूठकितनाभी