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करती है गुफ़्तगू .... सुबह हो या हो शाम रहती हैं ते

करती है गुफ़्तगू ....
सुबह हो या हो शाम
रहती हैं तेरी ज़ुस्तज़ु 
जब मैं उसमे और वो
मुझमे ना मिल जाये
तो मिलती है सुकून
कोई भी शहर हो या हो पहर रहती है वो हमसफ़र
सुनी सुनी सी हसरत है ऐसी उसकी तसव्वुर है
मन उदास हो या हो बेचैनी ...गली का नुक्कड़ हो, या हो रहीसी चौपाल मिलती है वो सबसे इक चुस्की प्याली यार
 नमस्कार लेखकों।😊

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करती है गुफ़्तगू ....
सुबह हो या हो शाम
रहती हैं तेरी ज़ुस्तज़ु 
जब मैं उसमे और वो
मुझमे ना मिल जाये
तो मिलती है सुकून
कोई भी शहर हो या हो पहर रहती है वो हमसफ़र
सुनी सुनी सी हसरत है ऐसी उसकी तसव्वुर है
मन उदास हो या हो बेचैनी ...गली का नुक्कड़ हो, या हो रहीसी चौपाल मिलती है वो सबसे इक चुस्की प्याली यार
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rahulverma5967

RAHUL VERMA

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