करती है गुफ़्तगू .... सुबह हो या हो शाम रहती हैं तेरी ज़ुस्तज़ु जब मैं उसमे और वो मुझमे ना मिल जाये तो मिलती है सुकून कोई भी शहर हो या हो पहर रहती है वो हमसफ़र सुनी सुनी सी हसरत है ऐसी उसकी तसव्वुर है मन उदास हो या हो बेचैनी ...गली का नुक्कड़ हो, या हो रहीसी चौपाल मिलती है वो सबसे इक चुस्की प्याली यार नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳