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फिरती रही बनठन तितलियाँ, ऋतु-गमन में पंखियो का चो

फिरती रही बनठन तितलियाँ,

ऋतु-गमन में पंखियो का चोंच।

जलज नभ माटी की भाव विभोर,

कलियों की मिलन से प्रकृति 'पंत'।। अभिव्यक्ति
फिरती रही बनठन तितलियाँ,

ऋतु-गमन में पंखियो का चोंच।

जलज नभ माटी की भाव विभोर,

कलियों की मिलन से प्रकृति 'पंत'।। अभिव्यक्ति
nitishsingh3541

ish_dhanbadi

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