सांवरे तेरे रंग में मै चार हो गया जब मुझे मेरे ईश्क का दीदार हो गया देखे थे जमाने में धोखे बहुत फिर भी उसके ईश्क पे मेरा दिल स्वरा हो गया फिर मुझे किसी पे ऎतबर हो गया। ज़ख्म सिल दिए उसने मेरे घाव सारे भर गए जीने लगे हम फिर से किसी के लिए बाकी सारे अरमान दबे पड़े थे दिल में जल उठे जहां पहले मर रहे थे हम अब फिर से चल उठे। .........✍️ साधु बाबा चल उठे