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प्रिय जूते को हास्य पत्र प्रिय जूते, कैसे हो प्यार

प्रिय जूते को हास्य पत्र प्रिय जूते,
कैसे हो प्यारे जूते? मैं तो ठीक हूँ यहाँ तुम्हारी सौतन सैंडल ने मुझ पर पता नही क्या जादू कर रखा है, हर वक्त चमचमाती सी मेरे सामने आ जाती है और मेरे मन को बदल तुम्हारी जगह ले लेती हैं,मुझे तुम्हारी बहुत याद आती हैं,याद हैं जूट वो अपने स्कूल के दिन जब हम रोज स्कूल जाते थे,औऱ हम पूरा दिन धमाचौकड़ी करते घूमते थे । तुम हमेशा 5 घंटे तो मेरे साथ रहते ही रहते थे मुझे हर बारिश, सर्दी, कीचड़ सब से तुमने ही बचाया था, मुझे आजकल तुम्हारी कमी बहुत खलती हैं मैं चाहती हूँ वो स्कूल के दिन वापिस लौट आये
प्रिय जूते को हास्य पत्र प्रिय जूते,
कैसे हो प्यारे जूते? मैं तो ठीक हूँ यहाँ तुम्हारी सौतन सैंडल ने मुझ पर पता नही क्या जादू कर रखा है, हर वक्त चमचमाती सी मेरे सामने आ जाती है और मेरे मन को बदल तुम्हारी जगह ले लेती हैं,मुझे तुम्हारी बहुत याद आती हैं,याद हैं जूट वो अपने स्कूल के दिन जब हम रोज स्कूल जाते थे,औऱ हम पूरा दिन धमाचौकड़ी करते घूमते थे । तुम हमेशा 5 घंटे तो मेरे साथ रहते ही रहते थे मुझे हर बारिश, सर्दी, कीचड़ सब से तुमने ही बचाया था, मुझे आजकल तुम्हारी कमी बहुत खलती हैं मैं चाहती हूँ वो स्कूल के दिन वापिस लौट आये