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कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन) रचना क्रमांक -

कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन)
रचना क्रमांक - 2 दिनाँक - 16.01.2022 
विषय :- वो मेरा था, मेरा है, मेरा ही रहेगा।

वो मेरा था, मेरा है, मेरा ही रहेगा।
मेरे मौज-ए-दिल की वजह ही रहेगा।
भले ही वो मुझसे आज नाराज़ है।
मुस्कुराता हुआ मेरी तरह ही रहेगा।

उसे आता नहीं मुझपे गुस्सा करना।
मगर फिर भी रहता वो नाराज़ है।
मैंने देखा है उसकी आँखों में वो प्यार।
जो बदलता नहीं इस तरह ही रहेगा।

इतना सा तो प्यार कमाया है मैंने।
कि उसकी दिल में वो जगह पा सकूँ।
मेरे दिल में तो वो बस ही चुका है।
ये उसका घर है उसका ही रहेगा।

उसकी कहानी का आधा हिस्सा हूँ मैं,
और मेरी कहानी का वो पूरा हिस्सा है।
लोगों की जुबां में हमारा ही था किस्सा,
आज भी चाहत का वो किस्सा ही रहेगा। कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन)
रचना क्रमांक - 2 दिनाँक - 16.01.2022 
विषय :- वो मेरा था, मेरा है, मेरा ही रहेगा।

वो मेरा था, मेरा है, मेरा ही रहेगा।
मेरे मौज-ए-दिल की वजह ही रहेगा।
भले ही वो मुझसे आज नाराज़ है।
मुस्कुराता हुआ मेरी तरह ही रहेगा।
कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन)
रचना क्रमांक - 2 दिनाँक - 16.01.2022 
विषय :- वो मेरा था, मेरा है, मेरा ही रहेगा।

वो मेरा था, मेरा है, मेरा ही रहेगा।
मेरे मौज-ए-दिल की वजह ही रहेगा।
भले ही वो मुझसे आज नाराज़ है।
मुस्कुराता हुआ मेरी तरह ही रहेगा।

उसे आता नहीं मुझपे गुस्सा करना।
मगर फिर भी रहता वो नाराज़ है।
मैंने देखा है उसकी आँखों में वो प्यार।
जो बदलता नहीं इस तरह ही रहेगा।

इतना सा तो प्यार कमाया है मैंने।
कि उसकी दिल में वो जगह पा सकूँ।
मेरे दिल में तो वो बस ही चुका है।
ये उसका घर है उसका ही रहेगा।

उसकी कहानी का आधा हिस्सा हूँ मैं,
और मेरी कहानी का वो पूरा हिस्सा है।
लोगों की जुबां में हमारा ही था किस्सा,
आज भी चाहत का वो किस्सा ही रहेगा। कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन-3 (ग़ज़ल लेखन)
रचना क्रमांक - 2 दिनाँक - 16.01.2022 
विषय :- वो मेरा था, मेरा है, मेरा ही रहेगा।

वो मेरा था, मेरा है, मेरा ही रहेगा।
मेरे मौज-ए-दिल की वजह ही रहेगा।
भले ही वो मुझसे आज नाराज़ है।
मुस्कुराता हुआ मेरी तरह ही रहेगा।