कितना सुन्दर यह क्षण है ,पापा का जन्मदिन है डरकर हम यहीं कहते हैं, पापा से सब डरते हैंं कांप,कांपकर स्वरों से अधूरी बातें करते हैं,हां पापा से अपने, हम सब ह्रदय की बातें कहते हैं छिपकर सही मगर पापा मेरे सबसे स्नेह करते हैं हम सब भी नहीं हैं कम बिना पाप के अधूरे लगते हैं जब कभी हो जाते हैं गुस्सा आंखें लाल करते हैं ,नाना का नाती आकर बोला नाना कमेडी अच्छा करते हैं एक छोटा सा है घर मेरा, जिसमें रहतें कभी कभी सदस्य बारह कितना प्यारा लगता है तब ,मेरा ह्रदय बस कुछ कहता है पापा के बिन सबका सारा सपना टूटा बिखरा लगता है।। मेरे पापा एक अध्यापक हैं जो आज भी मुझे पढा़ते हैं खुश हूं मैं भी क्योंकि पापा मेरे संग कइयों का अस्तित्व बनाते हैं ©शिल्पा यादव जन्मदिन पर पापा की पुत्री का पिता के प्रति असीम/प्रेम/भावना/अभिव्यक्ति/ पत्र