दिन रात एक कर मैंने लहू से सींच तिनका तिनका जोड़ कर एक घर बनाया तुमने ज़रा भी ना सोचा ना समझा बस नफ़रत की आग में मेरा घर नहीं मेरे बच्चों के भविष्य को भी है जलाया पापी पेट तो फिर भी भर लेंगे अपना मेरी बेटी के दहेज को था मैंने अपना सर्वस्व लुटाया तुमने पिता के उस लाल जोड़े में बेटी के विदा होने के सपनों को भी खाक है बनाया बेटे की पढ़ाई के लिए उसकी मां ने था गहना गिरवी करवाया पर तुम्हारे जहन में ये बात कहा से आयेगी वो मां रोएगी चीखेगी चिल्लाएगी क्युकी गरीबी की मार खा कर उन्होंने सपने संजोए थे अपने खुशियों की चाशनी में ग़म भुलाने डुबोए थे की ठीक तुमने हर जख्म ताज़ा कर दिया खुशियां आईं थी बरसों बाद जिस घर में आंगन में उसके अंधेरा कर दिया। #want peace ☮️