हाँ मैं मुसलमान हूँ और पूरा हिन्दोस्तान हूँ, इस मिट्टी मैं है मेरा ख़ून,तुम ढूंढो तो क़ब्रिस्तान हूँ, क्यूँ कह दिया झूठा मेरी ज़ात को औकात को मैं देश पर मरता रहा,तुम कहते हो अनजान हूँ, इस तख़्त का ना कर घमंड,यह कल को छूट जाएगा बारी तेरी आएगी जब,मैं खुद ही फिर फरमान हूँ, ज़ुल्मत रही किसकी सदा हर इक हुआ फानी यहाँ मैं हूँ सबर की इक मिसाल मेरे दीन की पहचान हूँ, हर रोज़ का नया फ़ैसला,हर रोज़ की नयी बंदिशें मैं चुप हूँ मैं इंसान हूँ, बिगड़ा तो फिर शमशान हूँ, #AgainstNrc#AgainstNRC