#OpenPoetry मेरे हमदम मेरे दोस्त मैं फिर से तेरा होना चाहता हूं ये जुदाई जो अभी दरिया है इसे समंदर होने से पहले मैं फिर से तेरा होना चाहता हूं। ये शबें, जो ज़ुल्मतों का दामन अभी छू न पाई पाई हैं, ये आँसू, जो आंखों की मेहराब में अभी पिघला नहीं ये यादें जो तन्हाईयों के पैकर में अभी ढल ना पाई हैं अभी तो सब कुछ महरूम है मुकाम से अपने। अभी ख़्वाबों की जुगनू झिलमिलाते हैं अभी हसरतों की तितलियां बैठी हैं अभी मुस्कान के कँवल खिले हैं अभी वस्ल की बात में तलातुम है अभी लम्हों में रूमानियत ठहरी है अभी लम्स तेरा शादाबी है अभी मसर्रतें बेतरतीब नहीं अभी फ़ज़ा में रानाई छाई है अभी मंज़र में नशात फैला है अभी हवा में लज़्ज़त बाक़ी है अभी सदाएं हैं सन्नाटों में अभी चांदनी मकबूल है अभी सितारे माकूल हैं अभी रूह में तेरा हिस्सा है अभी सांस पे मेरा क़ाबू है अभी तो ज़िंदगी कुछ ही दूर चली है मेरे हमदम मेरे दोस्त मैं फिर से तेरा होना चाहता हूं। वो तेरे बदन की ख़ुश्बू जिससे सरसब्ज़ हुई थीं सांसें मेरी, वो घनेरी ज़ुल्फ़ों की ओट जिसमें शफ़क़ देखा था देर तलक, वो गुदाज़ बांहों की हरारत जो मेरी रूह में उतरी थी आहिस्ता, वह तेरे लबों के लम्स का जादू जो चला था मेरे लबों पे, वह जंबीं भी तेरी जिस पे पैकर था मेरे लबों का, वो हाथ मेहंदी लगा जो गुज़रा था मेरे रुख़्सारों से, वो हर एक लम्हा जो तुमसे आगाज़ होता था वो दुनिया तेरे संग की फिर से चाहता हूं मेरे हमदम मेरे दोस्त मैं फिर से तेरा होना चाहता हूं। Written by-"NISHANT" #nojotoapp #nojotoshayari #nojotopoetry #nojotomusic मेरे हमदम मेरे दोस्त मैं फिर से तेरा होना चाहता हूं ये जुदाई जो अभी दरिया है इसे समंदर होने से पहले मैं फिर से तेरा होना चाहता हूं। ये शबें, जो ज़ुल्मतों का दामन अभी छू न पाई पाई हैं,