जब ग़मों से तबीयत घबराती है मां तो तेरी याद बहुत आती है मां तंहाई घेर कर मारती है रोज़ अकसर अब कोई नहीं होता है पास जब कभी ज़िंदगी रुलाती है मां जब धूप ज़िंदगी की बहुत तेज़ हो जाती है तो तेरे आंचल की याद बहुत आती है मां सभी यहां ग़रज़ से प्यार करते हैं तेरे जिब्रान से मगर तेरी मुहब्बत अब भी भुलाई नहीं जाती है मां दिल की फीलिंग