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आज भी याद है "वो बरगद" जमती थी यारों की महफ़िल! जेठ

आज भी याद है "वो बरगद"
जमती थी यारों की
महफ़िल!
जेठ की दुपहरी में,
सुलझा लेते थे वो झगड़े
जो दायर होते थे
अपनी कचहरी में।
वो ताश के पत्ते
वो उर्दू,
मजलिस पर
आपकी फ़रमाइश
पर बजते फिल्मी गीत!
भुलाए नहीं भूलते
बरगद पर चढ़ना नँगें पाँव !
Ac को मात देती,
उसकी शीतल छाँव।
साथ में तालाब किनारा
एक और पसंदीदा हमारा।
गुम हो गई हैं जो
अतीत के गर्त में
तलाश है उन खुशियों की! वो बरगद 
जमती थी यारों की
महफ़िल!
जेठ की दुपहरी में,
सुलझा लेते थे वो झगड़े
जो दायर होते थे
अपनी कचहरी में।
वो ताश के पत्ते
आज भी याद है "वो बरगद"
जमती थी यारों की
महफ़िल!
जेठ की दुपहरी में,
सुलझा लेते थे वो झगड़े
जो दायर होते थे
अपनी कचहरी में।
वो ताश के पत्ते
वो उर्दू,
मजलिस पर
आपकी फ़रमाइश
पर बजते फिल्मी गीत!
भुलाए नहीं भूलते
बरगद पर चढ़ना नँगें पाँव !
Ac को मात देती,
उसकी शीतल छाँव।
साथ में तालाब किनारा
एक और पसंदीदा हमारा।
गुम हो गई हैं जो
अतीत के गर्त में
तलाश है उन खुशियों की! वो बरगद 
जमती थी यारों की
महफ़िल!
जेठ की दुपहरी में,
सुलझा लेते थे वो झगड़े
जो दायर होते थे
अपनी कचहरी में।
वो ताश के पत्ते
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator

वो बरगद जमती थी यारों की महफ़िल! जेठ की दुपहरी में, सुलझा लेते थे वो झगड़े जो दायर होते थे अपनी कचहरी में। वो ताश के पत्ते #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #ख़ुशियोंकीतलाश #KKC544