पांव छालो से भरे हुए, पथ रक्त से सने हुए, करुण हृदय पुकारता, जिद अपनी तुम तो, तोड़ दो..... हमे है गांव छोड़ दो.... तम से है तपा हुआ, स्वेद से सना हुआ क्षुधा से भरा हुआ... रुध्रा कंठ पुकारता... जिद अपनी तुम तो, तोड़ दो..... हमे है गांव छोड़ दो.... शहर से है ये गांव का, या मृत्यु तक का ये सफ़र, टूटती है सांस की, व्याकुलता पुकारती जिद अपनी तुम तो, तोड़ दो..... हमे है गांव छोड़ दो.... नीर आंखो में भरे हुए मृत्यु से डरे हुए शिशु को, सीने से लगा लगा मातृत्व है पुकारती... जिद अपनी तुम तो, तोड़ दो..... हमे है गांव छोड़ दो.... श्रमिक पुकार@सरकार