प्यारे दादाजी ©Amit Kumar Sharma प्यारे दादाजी हर शाम को हम लोग अक्सर दादाजी के पास इकट्ठा हो जाया करते थे और दादा जी के पैर हाथ दबाने का नाटक करने लगते थे ।और उनसे कहानी सुनने के लिए बेताब रहते थे हर दिन हम सभी दादाजी के पास नई नई कहानियां सुना करते थे और नई नई चीजों को सीखते थे। और न जाने कई साल पुरानी स्थिति परिस्थिति को दादा जी हम सब से बताया करते थे और वो अपने हर सुख दुख को हम सबको बताते थे। की उन्होंने अपने जीवन में कितना मेहनत की और गरीबी का सामना किया है। इन सभी बातों को सुनने के लिए हम सभी बच्चे उनके पास बैठते थे इसके साथ ही दादाजी हम लोगों को देर रात तक यही सब बातों में अपने पास बिठाए रहते थे। और तो और अपने बिस्तर पर सुला देते थे मगर अब वो वक्त अब कहां चला गया कि बच्चे कहानिया सुनने की बात दूर है दादाजी के पास जाना भी नहीं चाहते और ना ही उनके पास बैठना पसंद करते हैं। इस डिजिटल युग का आना बहुत ही अच्छा नहीं है इसने बहुत से अच्छाइयों को समाज से अलग कर दिया है। जो बातें जो कहानियां दादा जी से सुनते थे वो सब डिजिटल हो गए हैं।अब तो के कोई दादाजी के पास जाना भी नहीं चाहता है बस डिजिटल युग में लगे हुए हैं ।जब बच्चे दादाजी के पास होते थे तो उनका भी अच्छा टाइम पास हो जाता था ।मगर वो भी अब किसी कोने में अकेले बैठे रहते हैं ।यह सब देख कर इस बदल रहे वक्त को क्या कहें जो इस नये समाज ने किया है ।हम सबको अपने समाज और अपनी सभ्यता की ओर वापस लौटना चाहिए और हम सबको थोड़े से वक्त के लिए ही लेकिन बुजुर्गों के पास जरूर बैठना चाहिए। जो ज्ञान जो सीख इन बुजुर्गों से मिल जाती है वह दुनिया के किसी यंत्र से नहीं मिल सकता मिल भी सकता है तो वह उस प्रेम और भाव से भरपूर कभी नहीं हो सकता। इसलिए हम सबको आज से अपने थोड़ी से वक्त को बुजुर्गों को देना है ।और उन्हें कभी ये ना एहसास होने देना है कि अब मेरा मर जाना ही ठीक है क्योंकि जब तक घर में बुजुर्ग हैं तब तक समझ लीजिए आपके घर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ। है जिस दिन यह बुजुर्ग स्वर्ग सिधार जाएंगे उस दिन से आपके घर को देखने वाला वह आपको समझाने वाला कोई नहीं मिलेगा हम सभी को बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए व उनको थोड़ा वक्त अवश्य ही देना चाहिए। पंडित अमित कुमार शर्मा प्रयागराज उत्तर प्रदेश मो.8707290713