कुछ इस तरह हम अपनी वफ़ा निभाते हैं, हम जिसके नहीं उसे ही दिल में बसाते हैं ।। वो लूटते सजी महफ़िलों के मज़े हँस-हँस, और हम सूनी-सूनी रातों में अश्क़ बहाते हैं ।। ग़रीब है वो, उसकी क़दर नहीं किसी को, लोग तो 'हनीफ़' बस अमीरों के घर जाते हैं ।। रफ़्ता-रफ़्ता ही सही ज़िंदगी गुज़र जाएगी, मालूम है हमें, हम कौन सा रोज़ मुस्कुराते हैं ।। #हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️ #हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️ कुछ इस तरह हम अपनी वफ़ा निभाते हैं, हम जिसके नहीं उसे ही दिल में बसाते हैं ।। वो लूटते सजी महफ़िलों के मज़े हँस-हँस, और हम सूनी-सूनी रातों में अश्क़ बहाते हैं ।। ग़रीब है वो, उसकी क़दर नहीं किसी को,