ऐसा लगता है कि फिल्म द कश्मीर फाइल्स इन इन लोगों के मर्म को छू लिया है बहुत सारे लोग ऐसे में जो फिल्म के जरिए अपनी पहली बार यह जान पा रहे कश्मीर पंडितों के साथ ही किस तरह के लोगों का आप देने का तेज और वह लोग फिल्म को देखकर ना केवल आवत है बल्कि इस पर यकीन नहीं कर पा रहे कि 32 साल पहले कश्मीर पंडितों को इतनी भीषण त्रासदी से गुजरना पड़ा यह तब है जब फिल्म कश्मीर में पंडितों के उत्पीड़न की घटनाओं का चित्रण किया गया है यह कहकर की चौकी नौकरियों में उनका दबदबा है इसलिए घाटी के लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा होना यह लोग यह नहीं बताते कि किस कश्मीरी पंडितों को सर यह मारा गया उन्हें सब नहीं उठाना दिया और न ही महिलाओं के दुष्कर्म किए गए वे यह भी बताते हैं कि घाटी में ऐसे फरमान जारी होते हैं जैसे कश्मीर पंडित अपनी महिलाओं को छोड़कर छोड़ दिए गए फाइल हमारे जाए कश्मीर फाइल्स यह सब बयान कर दी है यदि सर्कुलर एलेबोरेट बर्बादी से बरसात नहीं सर्वाधिक वोट से मीडिया के लोग भी हैं कुछ मीडिया वाले ने तो कश्मीर होने से पहले ही करार दे दिया गया एक से रोकने के लिए पहुंच गए के अधिकारी के खिलाफ कन्हैया कुमार जेएनयू में लगाया जाता था ऐसे जेएनयू के प्रोफेसर का कहना था कि कश्मीर तो कभी भारत का हिस्सा रहा ही नहीं है यह नक्सली और बंदूकधारी गांधी बताने वाले आरोपी राय के भी हैं एक समय था जब कश्मीर में फिल्म बनती थी या फिर आतंकवादी सब कुछ ले लिया कर देते हैं 1989 और 90 के दौर सैकड़ों कश्मीर पंडित मारे गए और लाखों प्लेन के विवश ©Ek villain #कश्मीर के सच से डरे हुए लोग #KashmiriFiles