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सदियों बीते राम, निहारे पथ आंखें। कब आओगे राम?निहा

सदियों बीते राम, निहारे पथ आंखें।
कब आओगे राम?निहारे पथ आंखें...!

अपने ही घर के बाहर, बैठे रहे, बिना छत के ,
चौदह बरस नहीं, अपितु, अधिक पांच सौ बरस से।
द्वादशी तिथि पौष मास, २०८० विक्रम संवत ,
यह  शुभ अवसर आया है,
संत सनातन ने आग्रह से फिर तुम्हें बुलाया है।
भवन पधारो राम! निहारे पथ आंखें।।

राह निहार रही अहिल्या,का तुमने उद्धार किया,
शबरी राह बुहार रही थी,उसका भी कल्याण किया।
जामवंत, सुग्रीव व केवट साथी मित्र बने सारे,
हार गया अधर्म किन्तु; हे सत्यपथी तुम ना हारे।
ना किया ,तनिक विश्राम! निहारे पथ आंखें।।

जब तुम आओगे, कलयुग में सतयुग आएगा।
हर प्राणी तुममें, समा राममय हो जाएगा।
छट जाएंगे दु:ख के बादल,सुख सूरज उदित हो जाएगा।
सदियों से कल्पित राष्ट्र में, फिर राम राज्य आजाएगा।।
कर दो जन का कल्याण ! निहारे पथ आंखें।।

करने सबका उद्धार, राम ! कब आओगे?
घर सबको देते राम!अब घर आओगे।
है अवध बिछाए आंख ,राम तुम कब आओगे?
घर अपने आओ राम! निहारे पथ आंखें।

©@kavi_neetesh
  सदियों बीते राम, निहारे पथ आंखें।
कब आओगे राम?निहारे पथ आंखें...!

अपने ही घर के बाहर, बैठे रहे, बिना छत के ,
चौदह बरस नहीं, अपितु, अधिक पांच सौ बरस से।
द्वादशी तिथि पौष मास, २०८० विक्रम संवत ,
यह  शुभ अवसर आया है,
संत सनातन ने आग्रह से फिर तुम्हें बुलाया है।

सदियों बीते राम, निहारे पथ आंखें। कब आओगे राम?निहारे पथ आंखें...! अपने ही घर के बाहर, बैठे रहे, बिना छत के , चौदह बरस नहीं, अपितु, अधिक पांच सौ बरस से। द्वादशी तिथि पौष मास, २०८० विक्रम संवत , यह शुभ अवसर आया है, संत सनातन ने आग्रह से फिर तुम्हें बुलाया है। #जय_बजरंगबली #पौराणिककथा #NojotoRamleela

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