वो मुझे सब कुछ बताती भी है मुझसे उदासी अपनी छुपाती भी है चाय हो जो हाथो में मेरे अगर तन्हा शाम में वो गुनगुनाती भी है मुझसे बहुत तेज़ है उसके कदम मेरेे थकने पर वो ठहर जाती भी है इश्क़ जैसा कुछ नही है हमारे दरमियाँ गर मौका हाथ लगे तो वो इतराती भी है बेबाक बाते अपने लफ़्ज़ों में लिए फिरती है करती है जो बातें मोहब्बत की तो शर्माती भी है वो आईना हमसफर और हम नक्श है मेरा वो मेरी ग़ज़ल भी कुछ मुझ सी ही है ।। "वो मेरी ग़ज़ल" . . सुलगती प्यास का कुछ हल जरूर निकलेगा हमारे नाम का बादल जरूर निकलेगा - डॉ राहत इन्दोरी #yqbaba #yqdidi #yopowrimo #yqhindiurdu #yqhindi #yqkavi #yqshayari #banarasi_writes