वो अश्क पोछा करती थी मेरी आंखों से कभी,
कसम देती थी आए ना आँसू आंखो से कभी।
इस क़दर डुबा रही है दर्द-ए-महजूरी उसकी,
अब जाती नहीं है नमी मेरी आंखों से कभी।
जो देखा करती थी पल - पल मेरी आंखो में,
वो निकलती नहीं है अब मेरी आंखों से कभी। #Shayari#sadshyari#sad_feeling