पुरानी बिखरी यादें पुरानी बिखरी यादें ही याद कर तो जी रहे हैं हम। कुछ लिखी अल्फ़ाज़ कचरे में चल गए तो कुछ सपनों के साथ साथ टूट कर रह गए। बस हाथ लगी तो बस तन्हाई, जो साथ साथ कदम कदम पे साथ होती है। बात करने को मिला तो अपनी चार दिवारी जो खुद की बातें अक्सर खुद ही सुनता हूं। वो पुरानी बिखरी यादें ही तो है जो याद कर खुद को संभाल लेता हूं। #Memories #nojoto#daredil#shyari