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क्यूँ बेटियाँ बोझ होती हैं क्यूँ लोगों को इतनी तकल

क्यूँ बेटियाँ बोझ होती हैं
क्यूँ लोगों को इतनी तकलीफ होती है इनके जन्म से
क्या इसके बिना जिन्दगी साकार है सबकी
कैसे बढ़ावगे अपना वंश
कैसे रसोई महकेगी इनके बिना •••
किसके साथ साझा करोगे अपनी परेशानी
ये कोई ओर नी एक बेटी ही होती है 
जो माँ, बहन, पत्नी , हमसफर का फर्ज निभाती है
फिर भी सबको ये न अच्छी लगती, न हीं भांति हैं ••
क्यूँ बेटियाँ बोझ होती है••••
क्यूँ। ऐसा रीतिरिवाजों को चलाया है 
जिसने  बेटियाँ ही जलाया है 
दर्द होता है बेटीयों को जब भूर्ण ह्त्या कर दी जाती है 
तब ओ माँ भी नौ माह पेट में रखकर खुद ही मर जाती है 
नजर नहीं मिलते होंगे खुद से 
फिर भी वह दुनिया में जीती हैं 
दर्द होता हैं उन फेंके गए बेटियों के बारें में जानकर
तब लगता है ओ माँ बाप कैसे जी रहें होंगे छुप छुप कर 
हटाया जाये ऐसे रीतिरिवाजों को 
ओर खुशहाल रहे सबका घर बार 
न कोई जलाए जाये , न कोई मारा जाये
न ऐसी सोच रखे कोई
तब ही खुशहाल रहेंगी बेटियाँ •••• dilsere - archu Manish Kumar Dinesh Mahata Faguni Verma Puspa Kri
क्यूँ बेटियाँ बोझ होती हैं
क्यूँ लोगों को इतनी तकलीफ होती है इनके जन्म से
क्या इसके बिना जिन्दगी साकार है सबकी
कैसे बढ़ावगे अपना वंश
कैसे रसोई महकेगी इनके बिना •••
किसके साथ साझा करोगे अपनी परेशानी
ये कोई ओर नी एक बेटी ही होती है 
जो माँ, बहन, पत्नी , हमसफर का फर्ज निभाती है
फिर भी सबको ये न अच्छी लगती, न हीं भांति हैं ••
क्यूँ बेटियाँ बोझ होती है••••
क्यूँ। ऐसा रीतिरिवाजों को चलाया है 
जिसने  बेटियाँ ही जलाया है 
दर्द होता है बेटीयों को जब भूर्ण ह्त्या कर दी जाती है 
तब ओ माँ भी नौ माह पेट में रखकर खुद ही मर जाती है 
नजर नहीं मिलते होंगे खुद से 
फिर भी वह दुनिया में जीती हैं 
दर्द होता हैं उन फेंके गए बेटियों के बारें में जानकर
तब लगता है ओ माँ बाप कैसे जी रहें होंगे छुप छुप कर 
हटाया जाये ऐसे रीतिरिवाजों को 
ओर खुशहाल रहे सबका घर बार 
न कोई जलाए जाये , न कोई मारा जाये
न ऐसी सोच रखे कोई
तब ही खुशहाल रहेंगी बेटियाँ •••• dilsere - archu Manish Kumar Dinesh Mahata Faguni Verma Puspa Kri
dollkidil1894

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