प्यार के इज़हार को प्याज़ समझ गईं, महंगाई से प्यार मेरी सलाद बन गईं । जबाब तेरे प्यार का दूंगी जहाँपनाह , खा लूँ इसे सलाद में जो ना मिलती यहाँ वहाँ । महँगाई में प्यार प्याज़ बन गईं, प्यार से तो प्याज़ ही आगे निकल गईं ।। प्याज़ और प्यार