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प्यार के इज़हार को प्याज़ समझ गईं, महंगाई से प्यार म

प्यार के इज़हार को
प्याज़ समझ गईं,
महंगाई से प्यार मेरी
सलाद बन गईं ।

जबाब तेरे प्यार का
दूंगी जहाँपनाह ,
खा लूँ इसे सलाद में
जो ना मिलती यहाँ वहाँ ।

महँगाई में प्यार
प्याज़ बन गईं,
प्यार से तो प्याज़ ही
आगे निकल गईं ।। प्याज़ और प्यार
प्यार के इज़हार को
प्याज़ समझ गईं,
महंगाई से प्यार मेरी
सलाद बन गईं ।

जबाब तेरे प्यार का
दूंगी जहाँपनाह ,
खा लूँ इसे सलाद में
जो ना मिलती यहाँ वहाँ ।

महँगाई में प्यार
प्याज़ बन गईं,
प्यार से तो प्याज़ ही
आगे निकल गईं ।। प्याज़ और प्यार