में जब तुमको पुकारू तुम चले आओ ऐसे। पतंग मे डोर ब

में जब तुमको पुकारू
 तुम चले आओ ऐसे।
पतंग मे डोर बंधी हो जैसे।।
तेरे बिन मे तड़पती हूं ऐसे।
बिन पानी के मछली
 तड़पती हो जैसे।।
अब तुमही बताऔ
तुम बिन जिया जाए कैसे

©Gauhar Ayub Etawi तेरे बिना भी किया जीना।

तेरे बिना भी किया जीना।

#8LinePoetry
में जब तुमको पुकारू
 तुम चले आओ ऐसे।
पतंग मे डोर बंधी हो जैसे।।
तेरे बिन मे तड़पती हूं ऐसे।
बिन पानी के मछली
 तड़पती हो जैसे।।
अब तुमही बताऔ
तुम बिन जिया जाए कैसे

©Gauhar Ayub Etawi तेरे बिना भी किया जीना।

तेरे बिना भी किया जीना।

#8LinePoetry