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बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे, कम्बख़त तो हम थे जो तु

बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझसे दिल लगा बैठे।

तुझे क्या परवाह मेरी,
तू कर उसकी परवाह जिसे न परवाह तेरी।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तेरी परवाह कर बैठे।

तुम क्यों सोचोगे मुझे,
तुम्हारी तो सोच वो है जिसकी सोच मे तुम नहीं।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझे अपनी सोच बना बैठे।

तुम मेरा ख्याल कियों करोगे,
तुम्हे तो उसका ख्याल है, जिसे तेरा ख्याल भी नहीं एक पल।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझे हर पल अपना खयाल बना बैठे।

तुझे मुझसे मोहब्बत कहाँ,
तुझे तो उससे मोहब्बत है, जिसे कदर नही इस महफ़िल - ऐ - गुलज़ार की ।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझसे बेपनाह मोहब्बत कर बैठे।
कम्बख़त तो हम थे जो तुझसे बेपनाह मोहब्बत कर बैठे।

-By #100ni_G (Soni Ji) बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझसे दिल लगा बैठे।

तुझे क्या परवाह मेरी,
तू कर उसकी परवाह जिसे न परवाह तेरी।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तेरी परवाह कर बैठे।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझसे दिल लगा बैठे।

तुझे क्या परवाह मेरी,
तू कर उसकी परवाह जिसे न परवाह तेरी।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तेरी परवाह कर बैठे।

तुम क्यों सोचोगे मुझे,
तुम्हारी तो सोच वो है जिसकी सोच मे तुम नहीं।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझे अपनी सोच बना बैठे।

तुम मेरा ख्याल कियों करोगे,
तुम्हे तो उसका ख्याल है, जिसे तेरा ख्याल भी नहीं एक पल।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझे हर पल अपना खयाल बना बैठे।

तुझे मुझसे मोहब्बत कहाँ,
तुझे तो उससे मोहब्बत है, जिसे कदर नही इस महफ़िल - ऐ - गुलज़ार की ।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझसे बेपनाह मोहब्बत कर बैठे।
कम्बख़त तो हम थे जो तुझसे बेपनाह मोहब्बत कर बैठे।

-By #100ni_G (Soni Ji) बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तुझसे दिल लगा बैठे।

तुझे क्या परवाह मेरी,
तू कर उसकी परवाह जिसे न परवाह तेरी।
बेवजह ही उम्मीद लगा बैठे थे,
कम्बख़त तो हम थे जो तेरी परवाह कर बैठे।