#नर और #नारी दोनों ही भगवान की दाईं-बाईं ऑंख या दाईं-बाईं भुजा के समान हैं .... उनका स्तर, मूल्य, उपयोग, कर्त्तव्य, अधिकार पूर्णत: समान है, फिर भी उनमें भावनात्मक दृष्टि से कुछ भौतिक विशेषताएँ हैं ..... नर की प्रकृति में परिश्रम, उपार्जन, संघर्ष, कठोरता जैसे गुणों की विशेषता है, वह बुद्धि और कर्म प्रधान है - नारी में कला, लज्जा, शालीनता, स्नेह, ममता जैसे सद्गुण हैं, वह भाव और सृजन प्रधान है .... यह दोनों ही गुण अपने-अपने स्थान पर महत्त्वपूर्ण हैं, उनका समन्वय ही एक पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करता है !!!!! #Shiva