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कंधे पर बोझ कोई लिए फिरता है , नींद से भरी आंखों

कंधे पर बोझ कोई लिए फिरता  है ,
नींद से भरी आंखों में साफ दिखता है ,
दिल मजबूत दिखाते हो भले ही,
 नाजुक सा दिल साफ झलकता है ,,
कभी कभी जोरू का गुलाम ,
कभी मां का लाडला,,
 ना जाने कितने ताने दिन भर सहता रहता है,,
 क्यों बेवजह कटघरे में खड़ा रहता है ,,
क्यों नहीं समझता कोई दर्द इनका,
 यह मर्द है बिना बात चक्की मैं पीसा  जाता है,,
 रोज कमाने अपने घर वालों के लिए,,
 बिन चाय पीये भी निकल जाता है,,
 जुबान से भले ही कड़वा बोले ,,
दिल में उतना ही  गहरा दर्द छुपा होता है ,,
उनकी आंखें सब बताती हैं ,
भले ही दिल  मे राज छुपा होता है।। 
                       -जानवी मुकुल  सिंह

©Jaanvi mukul Singh #apkiapniawaajjaanvisingh 

#NationalChaiDay
कंधे पर बोझ कोई लिए फिरता  है ,
नींद से भरी आंखों में साफ दिखता है ,
दिल मजबूत दिखाते हो भले ही,
 नाजुक सा दिल साफ झलकता है ,,
कभी कभी जोरू का गुलाम ,
कभी मां का लाडला,,
 ना जाने कितने ताने दिन भर सहता रहता है,,
 क्यों बेवजह कटघरे में खड़ा रहता है ,,
क्यों नहीं समझता कोई दर्द इनका,
 यह मर्द है बिना बात चक्की मैं पीसा  जाता है,,
 रोज कमाने अपने घर वालों के लिए,,
 बिन चाय पीये भी निकल जाता है,,
 जुबान से भले ही कड़वा बोले ,,
दिल में उतना ही  गहरा दर्द छुपा होता है ,,
उनकी आंखें सब बताती हैं ,
भले ही दिल  मे राज छुपा होता है।। 
                       -जानवी मुकुल  सिंह

©Jaanvi mukul Singh #apkiapniawaajjaanvisingh 

#NationalChaiDay