Nojoto: Largest Storytelling Platform

#OpenPoetry शाख से टूट के गुन्चे भी कभी खिलते हैं,

#OpenPoetry शाख से टूट के गुन्चे भी कभी खिलते हैं,
रात और दिन भी ज़माने में कहीं मिलते हैं,
भूल जा जाने दे तक़दीर से तक़रार न कर मैं तो एक ख्वाब हूँ तू ख्वाब से प्यार ना कर। #sumeet
#OpenPoetry शाख से टूट के गुन्चे भी कभी खिलते हैं,
रात और दिन भी ज़माने में कहीं मिलते हैं,
भूल जा जाने दे तक़दीर से तक़रार न कर मैं तो एक ख्वाब हूँ तू ख्वाब से प्यार ना कर। #sumeet