karwachauth चांद तेरी चांदनी आज फिर गजब होगी मुझे सोच वो तुझे कहीं निहार रही होगी उठ सुबह से उसने कुछ ना खाया होगा मेरे चांद को देख चांद भी शरमाया होगा याद धीरे से उसने अपने मन में दबा ली होगी फोटो देख उसने मेरी, रोटी थोड़ी खा ली होगी मेहंदी की लताओ में याद मेरी बस रही थी महावर की लाली मुझ पर ही तो हस रही थी लाल जोड़ा जो उसने मेरी याद में था पहना पुष्प गुच्छ कुछ नहीं सादगी है उसका गहना चांद देख चांदनी मेरे मन को भा रही थी भूखे पेट चंद्रबिंब से याद उसकी आ रही थी ©गंगवार रामवीर #करवाचौथ #रामवीर