गुलाब देकर गुलाम बना रही हो, मैं आजाद परिंदा हूं हर धड़कन का, जरा से फूल से क्यों रिझा रही हो, चाहती अगर इतना हो मुझे, सीधे गले लगा लो दूर क्यों खड़ी, कह देना दिल की हर महफिल जुबानी, कभी छोड़ कर ना जाओगी ये प्रीत कहानी । ©ek anjaan lekhak #IntimateLove #ekanjanlekhak #Love #Life #Live