ज़हर भर भर के पियालों में मुझे साक़ी पिलाए जा , मुझे कर दे पराया तू मगर अपना बनाए जा , मुझे होता न नहीं है दर्द तेरे ज़ख़्म देने से यही तेरी इनायत है मुझे यूँ ही सताए जा, ज़हर भर भर के पियालों में मुझे साक़ी पिलाए जा , -नौशाद सदर खान #zahar