#Bloom अमीरी तो घरों में बंद हैं जनाब,
इंसानियत जिंदा हो तो बताना,
समझने कि कोशिश करना, ज़रा मेरी बातों पर गौर फरमानागाड़ीयों में घूमना फिरना तो बंद हैं जनाब,
घर भी पैदल चलकर जाना पड़े उस दर्द समझ जाना
,
इंसानियत जिंदा हो तो बताना, उस व्यक्ति को ज़रा ध्यान में लाना,
जो पटरी पर सोया था पर फिर उठ नहीं पाया, घर उसका भी तो जाना जरूरी था,
क्यों भेदभाव फिर इस पैसे के नाम पे, #कविता