31 अवगत हो तेरे मनहर गुण एवं कुल सम्मान, मन ही मन हम जामाता तुम्हे लिए थे मान। योजनाबद्ध तुम्हें लाया गया उज्जैन छलबल सहारे, वीणा शिक्षण बहाने सौंपा वासवदत्ता को हाथ तुम्हारे। अग्निसाक्षी बगैर तुम गुपचुप उज्जयिनी से किये प्रस्थान, तुम्हारे चंचलता कारण हम वंचित रह गये करने से कन्यादान। ©RAVINANDAN Tiwari #स्वप्नवासवदत्ता #कविता #Nojotohindi #nojotolive #nojotowriters #NojotoWriter