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गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान। तीन लोक की सम्

गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान।
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान॥

भावार्थ:- गुरु के समान कोई दाता नहीं और शिष्य के सदृश याचक नहीं। त्रिलोक की सम्पत्ति से भी बढ़कर ज्ञान-दान गुरु ने दे दिया। Wish you happy teachers day
गुरु समान दाता नहीं, याचक शीष समान।
तीन लोक की सम्पदा, सो गुरु दीन्ही दान॥

भावार्थ:- गुरु के समान कोई दाता नहीं और शिष्य के सदृश याचक नहीं। त्रिलोक की सम्पत्ति से भी बढ़कर ज्ञान-दान गुरु ने दे दिया। Wish you happy teachers day