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हम भी कभी बच्चें थे , थोड़े कच्चे कच्चे थे , देख ख

हम भी कभी बच्चें थे ,
थोड़े कच्चे कच्चे थे ,
देख खिलौना रोती आँखें , 
आँसू  सच्चे सच्चे थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ।

दिनभर घुमाघामी करते ,
बाग से तितली रोज पकड़ते ,
10 पैसे दो , नाक रगड़ते ,
दिन वो कितने अच्छे थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ।

दिनभर खाते खूब अघाते 
मां को हम कितना भाते ,
बस्ता टांगे स्कूल जाते ,
मास्टर जी से मार खाते ,
गोटियों के गच्चे थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ।

मां के हाथ स्वेटर बुनते ,
दादी से कहानी सुनते , 
बागों से हम फुल चुनते ,
मार खाकर भी हंसते थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ।


दिनभर धींगामस्ती थी ,
कागज़ की एक कस्ती थी ,
खुशियां कितनी सस्ती थी ,
अपनी छोटी सी हस्ती थी ,
संग दोस्त , लट्टू और कंचे थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ,
कितने सच्चे सच्चे थे ।
- राजेश राणा

©Rajesh Raana हम भी कभी बच्चे थे....
#poem #कविता
हम भी कभी बच्चें थे ,
थोड़े कच्चे कच्चे थे ,
देख खिलौना रोती आँखें , 
आँसू  सच्चे सच्चे थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ।

दिनभर घुमाघामी करते ,
बाग से तितली रोज पकड़ते ,
10 पैसे दो , नाक रगड़ते ,
दिन वो कितने अच्छे थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ।

दिनभर खाते खूब अघाते 
मां को हम कितना भाते ,
बस्ता टांगे स्कूल जाते ,
मास्टर जी से मार खाते ,
गोटियों के गच्चे थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ।

मां के हाथ स्वेटर बुनते ,
दादी से कहानी सुनते , 
बागों से हम फुल चुनते ,
मार खाकर भी हंसते थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ।


दिनभर धींगामस्ती थी ,
कागज़ की एक कस्ती थी ,
खुशियां कितनी सस्ती थी ,
अपनी छोटी सी हस्ती थी ,
संग दोस्त , लट्टू और कंचे थे ,
हम भी कभी बच्चे थे ,
कितने सच्चे सच्चे थे ।
- राजेश राणा

©Rajesh Raana हम भी कभी बच्चे थे....
#poem #कविता
rajeshsuryavansh1699

Rajesh Raana

Silver Star
Growing Creator