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तुम्हारी शान्त आँखों में हँसी का गुबार क्यों । अच्

तुम्हारी शान्त आँखों में हँसी का गुबार क्यों ।
अच्छी कुछ लगती नहीं खुशी फिर उधार क्यों ।।
कल तक तुमने माना नहीं दिल की बात को ।
अब मैं सोचने लगा हूँ आखिर ये प्यार क्यों ।।
बीते दिनों तक तुम्हारी दस्तक नहीं सुनी।
आज अचानक मेरे सामने अरे यार क्यों।।
ठहर जाओ कुछ देर शायद संवर जांऊ मैं।
जाना है जाओगे इतने मगर बेकरार क्यों।।
मुझसे अगर तुम मिले शायद नसीब थे।
सोचता हूँ रात को ये बार बार क्यों ।।

©RamUnij Maurya #रामउनिज_मौर्य 

#Photography
तुम्हारी शान्त आँखों में हँसी का गुबार क्यों ।
अच्छी कुछ लगती नहीं खुशी फिर उधार क्यों ।।
कल तक तुमने माना नहीं दिल की बात को ।
अब मैं सोचने लगा हूँ आखिर ये प्यार क्यों ।।
बीते दिनों तक तुम्हारी दस्तक नहीं सुनी।
आज अचानक मेरे सामने अरे यार क्यों।।
ठहर जाओ कुछ देर शायद संवर जांऊ मैं।
जाना है जाओगे इतने मगर बेकरार क्यों।।
मुझसे अगर तुम मिले शायद नसीब थे।
सोचता हूँ रात को ये बार बार क्यों ।।

©RamUnij Maurya #रामउनिज_मौर्य 

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